about
about about

श्री शनिचरा मंदिर,

जिला मुरैना में शनीचरा पहाडी पर स्थित, श्री शनिदेव मंदिर का देश विदेश में बहुत महत्व है। यह देश का सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन शनि मंदिर तो है ही साथ ही यहाँ स्थापित श्री शनिदेव की प्रतिमा भी विशेष एवं अदभुत है। ज्योतिषियों के मतानुसार यह मूर्ति आसमान से टूटकर गिरे उल्कापिण्ड से निर्मित हुई है। एक अन्य कथा के अनुसार हनुमान जी ने अपनी बुद्धि चातुर्य से काम लेते हुए शनिदेव को लंकापति रावण के पैरों के नीचे से मुक्त कराया था एव कई वर्षो तक दबे होने के कारण शनिदेव दुर्बल हो चुके थे। लंका दहन हेतु शनिदेव ने बताया था कि जब तक वे लंका में रहेंगें तब तक दहन नहीं हो सकता है एवं वे इतने दुर्बल है कि उनका चलना मुश्किल है । अतः हनुमान जी से निवेदन करने पर हनुमान जी ने शनिदेव को पूरी ताकत से भारत भूमि पर फैका एवं शनिदेव मुरैना जिले के ऐंती ग्राम के पास स्थित एक पर्वत पर जा गिरे जिसे शनि पर्वत कहा जाता है
शास्त्रों में वर्णित है कि शनि पर्वत पर ही शनिदेव ने घोर तपस्या कर शक्ति एवं बल प्राप्त किया। शनिदेव की मूर्ति स्थापना, चक्रवर्ती महाराज विक्रमादित्य ने की थी एवं विक्रमादित्य ने ही शनिदेव की प्रतिमा के सामने हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की थी। सन् 1808 ई० में तत्कालीन शासक श्री दौलतराव सिन्धिया द्वारा यहाँ जागीर लगाई थी। इस प्रकार का शिलालेख मंदिर में लगा हुआ है। शनि पर्वत (शनिचरा पहाड़ी) निर्जन वन में स्थापित होने से विशेष प्रभावशाली है। यह भी कहा जाता है कि शनि सिंगनापुर (महाराष्ट्र) में स्थापित शिला को शनीचरा पहाड़ी से ही ले जाकर स्थापित किया गया था।
अधिक जानकारी

शनि अमावस्या पर विशेष

यहां प्रत्येक शनिश्चरी अमावस्या के दिन लाखों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से श्री शनिदेव के दर्शन को आते हैं।

श्री शनिदेव मंदिर में पिछले पच्चीस-तीस वर्षों से पूजा करते आ रहे पुजारी बृजभूषण जी ने बताया कि यहां प्रत्येक शनिश्चरी अमावस्या को मंदिर के गर्भ ग्रह में शनि पर्वत से आई गुप्त गंगा के रास्ते से श्री शनिदेव नाग देवता के रूप में प्रकट होते हैं।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या के शनिदेव की पूजा अर्चना करने से श्री शनिदेव प्रसन्न होते हैं। ऐंती ग्राम के प्राचीन शनि मंदिर पर प्रत्येक शनिश्चरी अमावस्या पर देश ही नहीं अपितु विदेशों से भी लाखों श्रद्धालु पहुँचकर श्री शनिदेव के दर्शन का लाभ प्राप्त करते हैं।

शनिचरा मंदिर की महत्त्वता के अन्य कारण

मंदिर परिसर में स्थित श्री गणेश की प्रतिमा
img


राधा कृष्णा मंदिर
img


शनि मंदिर परिसर में हनुमान जी की प्रतिमा
img


स्नान कुण्ड
img


शनि पर्वत से निकली गुप्त गंगा
img


मंदिर परिसर में सिद्ध तपस्वियों के समाधी स्थल
img


त्यागी आश्रम
img


त्यागी गौशाला
img


शनिचरा मंदिर कैसे पहुंचें:

cta
रेल मार्ग:- रेल मार्ग से आने वालों के लिए इन्दौर, ग्वालियर भिण्ड - ईटावा ईटावा - कानपुर रेलवे लाईन पर ग्वालियर के समीप शनिश्चरा स्टेशन है। दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई से रेल मार्ग से आने वालों के लिए निकटस्थ ग्वालियर रेलवे स्टेशन से शनिचरा 21 कि.मी. की दूरी पर स्थित है, जहाँ से सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।

सड़क मार्ग:- सड़क मार्ग से आगरा-मुम्बई राजमार्ग पर मुरैना के बानमौर औद्योगिक क्षेत्र से 20 कि.मी., ग्वालियर - भिण्ड मार्ग पर महाराजपुर से 15 कि.मी. ।

हवाई मार्ग:- वायु मार्ग से आने वालों के लिए निकटस्थ ग्वालियर एयरपोर्ट 15 कि.मी. की दूरी पर है। जहाँ से सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।

मंदिर परिसर का भ्रमण