पौढ़ी वाले हनुमान जी (जमीन में उभरी व लेटी प्रतिमा)
मुरैना जिले के ऐंती पर्वत पर स्थित भगवान श्री शनिदेव के मंदिर की ख्याति देश-विदेश में श्रद्धालुओं तक पहुंच रही है। उसी तरह इस मंदिर की पूर्व दिशा में एक विशाल चट्टान पर हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा धीरे-धीरे उभर रही है। किवदंती के अनुसार श्री शनिदेव के लंका के प्रक्षेपण पश्चात सूर्यदेव के प्रकोप से शनि को सुरक्षित रखने के लिये हनुमान जी इस शिला पर लेट गये और सूर्य की तीव्रगामी किरणों के प्रकोप से शनिदेव को बचाकर स्वयं ही अपने शरीर पर ग्रहण कर लिया। मान्यता है कि लगभग 100 वर्षों पूर्व इस चट्टान पर सिर्फ हनुमान जी के सिर की आकृति दिखाई दी थी, अब प्रतिमा का शरीर पूर्ण उभरकर आ गया है। प्रतिमा सिर की ओर से जमीन से एक फुट ऊपर उठ गई है। ज्योतिषियों, पुजारियों व धर्मशास्त्रियों का मानना है कि हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिण मुखी होती है। जिसके दर्शन से मानव मात्र का कल्याण होता है।