स्नान कुंड
मंदिर की स्थापना हजारों वर्ष पूर्व हुई थी तथा मंदिर शनि पर्वत पर स्थित है। पर्वत में से मंदिर के नीचे बनी हुई गुफाओं में से लगातार पानी आ रहा है। उक्त गुफाओं के दर्शन से यह प्रतीत होता है कि तत् समय तपस्वीयों ने उक्त स्थान पर गुफाओं में तपस्या की होगी। वर्तमान में भी उक्त तपस्वीगण श्रद्वालुओं को किसी न किसी रूप में दर्शन देते रहते हैं। उक्त स्थान के उदगम स्थल को गुप्त गंगा की मान्यता है तथा यह पानी वर्तमान में मंदिर परिसर में स्थित दो स्नान कुंडों में आता है। यह मान्यता है कि उक्त स्नान कुडों में स्नान करने से किसी भी प्रकार की त्वचा रोग का निवारण हो जाता है।