राधा कृष्णा मंदिर
भगवान शनिदेव के इष्ट भगवान श्री कृष्ण एवं श्री राधारानी जी की प्राण प्रतिष्ठा भी शनि भगवान की स्थापना समय ही हुई। राधाकृष्ण की मनमोहक प्रतिमाएं भगवान शनिदेव के दाहिने हाथ पर गुप्त गंगा व साधना स्थल के ठीक ऊपर लगभग 3 फुट की ऊँचाई पर प्रतिष्ठित किया गया। मंदिर स्थापना के समय स्थापित प्रतिमाओं के क्षरण के कारण वर्ष 2011 में हुबहू बड़ी प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 11 दिवस तक मनाया गया। यहां प्राण प्रतिष्ठा पश्चात पूर्वजों, देवों, तपस्वियों के लिये भोग प्रसादी निकालकर साधना स्थल पर रखी गई। वैसे साधना स्थल पर प्रकट हुये सर्परूपी पांच तपस्वी गुप्त गंगा में स्नान कर, बार-बार भोग प्रसादी को ग्रहण करने लगे। पांचों तपस्वी साधना स्थल से निकलकर भगवान श्रीकृष्ण व श्री राधारानी जी के चरणों को को अंगीकृत कर नमन करने लगे। इस दृश्य छायाकारों ने कैद करने का असफल प्रयास भी किया। किन्तु वे सफल नहीं हो सके।